बेटी युग
इस कविता के कवी श्री आनंद विश्वास हमे बता रहे है कि जब हम बेटियो को पढायेंगे उन्हे समुचित शिक्षा देंगे तो उनमे आत्मविश्वास बढेगा. बेटिया आत्मनिर्भर होगी वह देश के प्रगती मे बढ-चढकर भाग ले सकेंगी.
देश विकास कर रहा है. परंतु आज भी बच्चो को नानी द्वारा सुनाई गई कहानिया प्यारी लगती है. आओ अब हम नही कहानिया लिखे जो बेटी के नये युग से संबंधित हो.
इस नये युग मे लडके और लडकी दोनो पढेगे.पढ लीखकर आगे बढेंगे और तरक्की के मजबूत इरादो के साथ स्वय अपना इतिहास लिखेंगे. जब देश के सभी लडके और लडकीया पढेंगे तो देश आगे बढेगा. युवक-युवतीया प्रगती की दौड में दौडेंगे. आज भी बच्चो को नानी द्वारा सुनाई गई कहानिया प्यारी लगती है.
कवी कहते है की यदि केबल बेटो को शिक्षित किया गया तो वह आधी शिक्षा कहलायेगी पुरी शिक्षा तभी कहलायेगी की जब दोनो को अच्छी तरह शिक्षित किया जायेगा. हमारा विचार है इस पर सभी को सोचना चाहिए विचार करना चाहिए हमने विचार किया है.मन में ठाण लिया है कि सारे संसार को शिक्षित करना है आज भी बच्चो को नानी द्वारा सुनाई गई कहानिया प्यारी लगती है.
समाज में कोई भी आनपढ नही रहेगा सभी बालको के हात मे पुस्तके होगी ज्ञानरुपी गंगा की पवित्र धारा प्रत्येक व्यक्ती के आंगण तक पुहुचेगी अर्थात हर घर का हर बच्चा पढेंगा. सभी जानते है कि कलम मे कितनी शक्ती होती है पुस्तके ज्ञान का भंडार है आज भी बच्चो को नानी द्वारा सुनाई नही कहानिया प्यारी लगती है.
बेटी युग सन्मान का पर्व होगा यह पुण्य पर्व हे.यह ज्ञान की प्रतिष्ठा का पर्व है.जब सभी पढ लीख जायेंगे तो एक दूसरे का सम्मान करेंगे सभी जन जन का उत्थान होगा. प्राचीन काल मे भारत सोने की चिडीया कहेलाता था.अब फिर बेटि युग के हवाओ मे यह गुंजेगा. भारत सोने की चिडीया है. आज भी बच्चो को नानी द्वारा सुनाई गई कहानिया प्यारी लगती है.
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