फुल और काटे

 कविता का परिचय फुल और काटे के माध्यम से व्यक्ति के व्यवहार के विषय मे बताया गया है. उच्च कुल मे  जन्मे व्यक्ति का दुसरो के प्रति व्यवहार यदि उचित नही है.तो उसकी कुलीनता उसे समाज मे सन्मान नही दिला सकती.

 कविता का सरल अर्थ

 फुल और काटे एक ही स्थान पर जन्म लेते है.एक ही पौधे  पर वे दोनो पलते है.रात्री के समय जब आकाश मे चाँद अपनी शितल चांदणी फैलाता  है. तब फुल और काटे दोनो को समान रूप से वह चांदणी मिलती है.

 जब बादल पृथ्वी पर जल बरसाते है तो दोनो पर समान रूप से बरसाते है. जब प्यारी हवा बहती है तब भी दोनों के ऊपर समान रूप से बहती है. परंतु एक जैसी परिस्थिती मे पलकर कर भी फुल और काटे का स्वभाव एक जैसा न होकर एकदम भिन्न होता है.


काटा किसी की भी उंगलियो को छेदकर घायल कर देता है. किसी के सुंदर वस्त्र फाड देता है. जब फुलो पर आकर्षित होकर सुंदर तीतलिया प्यारे से फुलो के पास आती है. तो काटा उनके पंखो काट देता है. भवरे के शरीर को छेद  देता है.

दुसरी और फुल तीतलीयो को प्यार से अपनी जगह देता है. भौरे को अपना रस पिलाता है. अपनी मदमाती सुगंध और रंगो की निराली छटा से सभी के मन को प्रसन्न  कर देता है.

 अपने व्यवहार के कारण काटा सभी के आखोमे खटकता है. जबकि फुलो को देवताओ के शीश पर चढाया जाता है. हमारे काम अच्छे ना हो तो हमारा उच्च कुल मे जन्मे लेना हमारी किसी काम का नही है.